कचरे को देखकर आपको क्या लगता होगा। अब जाहिर सी बात हैं, कचरा हैं तो आपको यही लगता होगा कि यह किसी काम का नहीं है, फेक देना चाहिए। पर आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे, जिसने ना सिर्फ कचरे को मूल्य में बदला, बल्कि उससे एक ऐसा बिजनेस खड़ा किया, जो पर्यावरण के अनूकूल भी है।
सफलता से संघर्ष की कहानियों की कड़ी में आज हम आपको क्रैस्ट (Craste) कंपनी के CEO शुभम सिंह के बारे में बताएंगे। जो गेहूं के भूसे, पराली और गन्ने के छिलकों से फर्नीचर बोर्ड और पेपर बनाने का काम करते हैं।
आखिर शुभम को इतना यूनिक बिजनेस आइडिया आया कैसे? बिजनेस की शुरुआत कैसे हुई, फंड कैसे जुटाया? मार्केटिंग कैसे की? और इस बिजनेस में उन्होंने अब तक कितना प्रॉफिट कमाया है चलिए जानते हैं –
केमिस्ट्री से था बचपन से लगाव
शुभम सिंह को बचपन से ही केमिस्ट्री से बहुत लगाव था। 12वीं के बाद शुभम केमिकल इंजीनियरिंग करने के लिए बेंगलुरु चले गए। 2014 में बेंगलुरु से B.Tech कम्प्लीट करने के बाद मास्टर की पढ़ाई के लिए वो लंदन चले गए। 2016 में मास्टर्स कंप्लीट करने के बाद वो इंडिया आ गए।
दिल्ली के प्रदूषण को देखकर आया अनोखा विचार
भारत आने के बाद शुभम रोज अखबारों में दिल्ली के प्रदषण की खबरें पढ़ते थे, जिन्हें देखकर उनके मन में कई सवाल उठते। इसी दौरान केंद्र के साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की एक फेलोशिप में उनका सेलेक्शन हो गया। फेलोशिप का नाम था – वेस्ट टू वैल्यू । इसी दौरान उन्होंने अलग-अलग वेस्टेज से प्रोडक्ट बनाने का सोचा।
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पराली, गेहूं और गन्ने के छिलके से बनाया फर्नीचर बोर्ड
इसी सोच के साथ 2018 में शुभम ने एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम था ‘क्रैस्ट’। इस कंपनी में उन्होंने वेस्टेज से पल्प तैयार करके पेपर शीट और फर्नीचर बोर्ड बनाने का काम शुरु किया। यह काम यूनिक तो, था पर इस काम के दौरान उन्हें लोगों के ताने भी सुनने पड़े।
लोग कहा करते थे, कि लंदन से लौटकर भूसा ढो रहा है। लेकिन शुभम इन बातों से परेशान नहीं हुए और वो लगातार इस फील्ड में काम करने लगे। शुभम बताते हैं कि उनकी कंपनी में बना फर्नीचर बोर्ड 300 किलोग्राम तक का वजन संभाल सकता हैं। जब वो लोगों को बताते हैं कि यह बोर्जड पराली, गेहूं और गन्ने की खोई से बना हैं, तो हर कोई चौंक जाता है।
कहां से मिला फंड और कैसे हुई मार्केटिंग ?
शुभम सिंह के बिजनेस में अभी तक ढाई करोड़ का इन्वेस्टमेंट हो चुका हैं, और ये सारा पैसा उन्हें सरकार की तर से ग्रांट और फंडिंग के तौर पर मिला है। बात करें मार्केटिंग की तो शुरुआत में शुभम खुद अपने प्रोडक्ट को लेकर डिस्ट्रीब्यूटर के पास जाते थे। उन्हें अपने प्रोडक्ट की खासियत बताते थे।
4-5 साल की मेहनत के बाद अब धीरे-धीरे उनके पास 50 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर हो गए हैं। धीरे-धीरे ये संख्या बढ़ती जा रही हैं।
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20 लाख से 100 करोड़ की कंपनी बनाने का सपना
Craste एक ऐसी कंपनी हैं, जो ना सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट कर रही हैं, बल्कि ये पर्यावरण के अनुकूल भी है। शुरुआत में ये कंपनी पुणे में काम करती थी, लेकिन अब यह मुरेना शिफ्ट हो गई हैं, क्योंकि यहां पराली और रॉ मैटेरियल आसानी से मिल जाता है। Craste अब तक 20 लाख का बिजनेस कर चुकी हैं। कंपनी का टारगेट हैं कि आने वाले 2-3 सालों में वो 100 करोड़ का बिजनेस कर लेंगे।
लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं शुभम सिंह
शुभम सिंह की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं, जो अपने साथ-साथ देश और पर्यावरण के लिए भी कुछ करना चाहते हैं। शुभम अपनी कंपनी Craste से आज पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतरीन काम कर रहे हैं। उनकी कंपनी ऐसे प्रोडक्ट बनाती हैं, जो पेडों से नहीं बल्कि वेस्ट से बने हैं जिन्हें लोग खेतो में जला दिया करते थे। ये कहानी साबित करती हैं, कि अगर आपको कुछ बड़ा करना हैं, तो आपको कुछ अनोखा सोचना ही होगा, जिससे ना सिर्फ आपका बल्कि समाज का भी भला हो।
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