Anil Agarwal Success Story: खुली आंखों से सपने देखना, और उन्हें पूरा करने के लिए पूरा जी-जान लगा देना, बहुत ही हिम्मत का काम है। कई बार असफलता आपके रास्ते को रोकने का प्रयास करेंगी, लेकिन जो लोग असफलताओं के आगे झुकते नहीं है, सफलता अक्सर उन्हीं के कदम चूमती है। ऐसी ही एक असफलता से सफलता की कहानी वेदांता रिसोर्सेज के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की भी है।
‘मेटल किंग’ के नाम से फेमस अनिल अग्रवाल आज भारत के सबसे सक्सेसफुल बिजनेस टायकून हैं, जो वर्तमान में 1.5 लाख करोड़ रुपये की कंपनी (वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड) के मालिक है। उन्होंने अपने जीवन में जो मुकाम हासिल किया है, वह लाखों लोगों के लिए एक मिसाल है।
हालांकि उनकी सफलता की सफर इतना आसान नहीं था, इससे पहले वो एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 9 बार बिजनेस में फेल हुए। तनाव इतना बढ़ा कि उन्हें अवसाद भी झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस आर्टिकल में चलिए जानते हैं, कि कैसे एक छोटे शहर के लड़के ने गरीबी से लड़ते हुए लाखों-करोड़ों रुपये की कंपनी शुरु की।
पिता का बिजनेस जॉइन करने के लिए छोड़ी पढ़ाई
अनिल अग्रवाल का जन्म बिहार के पटना में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। बिहार में उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल का एल्युमिनियम कंडक्टर का एक छोटा सा व्यवसाय था। बचपन से ही वो एक सफल बिजनेस मैन बनने का सपना देखा करते थे। ऐसे में 5 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे।
करियर बनाने के लिए बिहार छोड़कर मुंबई आए
मात्र 20 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और खुल तो तलाशने के लिए मुंबई आ गए। अनिल घर से बिल्कुल खाली हाथ आए थे, उस समय उनके पास एक खाली टिफिन था। मुंबई आने के बाद उन्होंने बहुत सी चीज पहली बार देखी थी, जिसमें डबल डेकर बस और पीली टैक्सी भी थी।
उस समय अनिल के पास भले ही कोई धन-दौलत नहीं थी। लेकिन उनकी आखों में कुछ बड़ा कर दिखाने का जज्बा था, जो उन्हें बार-बार मेहनत करने के लिए अग्रसर कर रहा था।
कबाड बेचकर शुरु किया करियर
काफी समय मेहनत करने के बाद साल 1970 में अनिल अग्रवाल ने कबाड़ के धंधे से अपना करियर शुरु किया। यह उनका पहला बिनजेस था, जिसमें उनकी अच्छी-खासी कमाई भी हुई। पहले ही बिजनेस में मिली सफलता से अनिल अग्रवाल का हौंसला बढ़ा, और उन्होंने दूसरे बिजनेस में हाथ आजमाना शुरु कर दिया।
9 बिजनेस फेल हुए पर फिर भी नहीं मानी हार
साल 1976 में अनिल अग्रवाल ने शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी को खरीदा। लेकिन उनका यह बिजनेस कुछ खास चल नहीं पाया, इस समय तक उनके बार कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं बचे थे।
हालांकि इसके बाद उन्होंने 9 अलग-अलग बिजनेस शुरु किए, लेकिन उन्हें सभी में असफलता ही हाथ लगी। इस दौरान वो डिप्रेशन में भी चले गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अनिल लगातार सफलता पाने के लिए कोशिश करते रहे।
बिजनेस में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ साल 1986
1980 में अनिल अग्रवाल ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीदा। अग्रवाल की कड़ी मेहनत का फल उन्हें तब 1986 में जब भारत सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को टेलीफोन केबल बनाने की मंजूरी दी। साल 1990 में उन्होंने कॉपर रिफाइनिंग का व्यवसाय शुरू किया।
उस समय स्टरलाइट इंडस्ट्रीज भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बनी जो कॉपर रिफाइनिंग का काम करती थी। इसके बाद अग्रवाल की सफलता को मुकाम मिलना हांसिल हो गया, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी सफलता की कहानी लगातार आगे बढ़ती चली गई।
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सफलता की उंचाईयों को छूने लगे अनिल अग्रवाल

भारत में जब उन्हें एक्सपेंशन के रास्ते बंद लगे, तब उन्होंने ग्लोबल मार्केट की में कदम रखने के लिए साल 2003 में अपनी कंपनी को London Stock Exchange में लिस्ट करा दिया। ये भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम था। जहां वेदांता की नींव उन्होंने 2003 में रखी।
आज वेदांता भारत की सबसे बड़ी माइनिंग और मेटल कंपनियों में से एक है, जो भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे दुनिया के कई बड़ें देशों में है। कंपनी ज़िंक, एल्यूमिनियम, कॉपर, आयरन, जस्ता-सीसा-चांदी, इस्पात और ऑयल एंड गैस जैसे सेक्टर में काम करती है। भारत में वेदांता लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई मे हैं, जो मुख्य रुप से गोवा, कर्नाटक, राजस्थान, और ओडिशा में लोह अयस्क, सोना और एल्युमीनियम की खानों में काम करती है।
बिलियन डॉलर्स में है अनिल अग्रवाल की कुल नेटवर्थ
अनिल अग्रवाल का व्यक्तित्व इतना साधारण हैं, कि लोग अक्सर उन्हें आम आदमी समझ बैठते हैं, लेकिन उनकी कुल नेटवर्थ हजारों करोड़ रुपये में है। फोर्ब्स की रिपोर्ट की मानें तो अनिल अग्रवाल की निजी संपत्ती लगभग 16,400 करोड़ रुपये हैं। वहीं उनके परिवार की कुल संपत्ति 32,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
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प्रेरणा
अनिल अग्रवाल आज देश को लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। आज उनकी कहानी को दुनिया के सफल उद्यमियों की कहानियों में शामिल किया जाता है। उन्होंने अपने संघर्ष से सफलता की कहानी लिखी। ऐसे में अगर आप भी मजबूत इरादे के साथ अपना पहला कदम उठाते हैं, तो आपको मंजिल मिलना तय है।
यह आर्टिकल पढ़कर आप भी अनिल अग्रवाल की कहानी से प्रेरणा ले सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। अगर आपके पास भी कोई ऐसी कहानी है, जो हमारे ब्लॉग में सक्सेस स्टोरी का हिस्सा बन सकती हैं, तो उस कहानी को हमारी मेल आईडी earnmoneyguru02@gmail.com पर जरुर भेंजे। साथ ही इस कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिली यह भी आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।