संघर्ष से सफलता की कहानी में आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं, एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो एक हलवाई परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन आज वो एक आयर्वेदिक प्रोडक्ट की कंपनी चलाते हैं, जो हेल्थ वेलनेस पर आधारित है।
ग्वालियर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर तानसेन चौराहे के पास स्थित ‘अमृतम’ नामक आयुर्वेदिक हेल्थ वेलनेस प्रोडक्ट की फैक्ट्री, न केवल एक ब्रांड है, बल्कि यह मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास की एक कहानी भी है। जिसे नायक हैं अशोक गुप्ता। इनके लिए खुद की कंपनी शुरु करना आसान नहीं था, हर राह पर ऐसी-ऐसी मुसीबतें आईं की अच्छे से अच्छा व्यक्ति हार मान जाता।
लेकिन अशोक गुप्ता ने कड़ें संघर्ष के साथ हर कठिनाई को पार किया, और करोड़ों का मुनाफा कमाने वाली कंपनी खड़ी कर दी। आखिर, अशोक गुप्ता ने कैसे अमृतम की शुरुआत की? उनकी सफलता की राह में कौन-कौन सी परेशानियां आईं? चलिए जानते हैं –
बचपन में किया हलवाई का काम
अशोक गुप्ता बेहद ही सामान्य परिवार से आते हैं। उनके दादा और पिता हलवाई का काम किया करते थे, तो वो भी बचपन से ही काम में उनकी मदद किया करते थे। उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, तो 10-12 साल की उम्र में ही अशोक ने अपने पिता और दादा के साथ हलवाई का काम करना शुरु कर दिया था।
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आयुर्वेदिक कंपनी में मिली पैकिंग की नौकरी
बड़े होने के बाद अशोक ने नौकरी ढूंढना शुरु किया। बहुत जल्दी ही उन्हें एक आयुर्वेदिक कंपनी में पैकिंग का काम मिल गया, जहां उन्होंने बहुत ही मेहनत और लगन से काम किया। उनकी मेहनत को देखकर कंपनी ने उन्हें मार्केटिंग की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद उन्होंने घर-घर जाकर प्रोडक्ट बेचना शुरु कर दिया।
अशोक गुप्ता के लिए ये संघर्ष के दिन थे। दिन-भर मेहनत करने के बाद जिस दिन उनकी बिक्री नहीं होती थी, उस दिन वो समोसा या ब्रेड खाकर गुजारा किया करते थे। अपना गुजारा चलाने के लिए वो चौक-चोराहों पर किताबें, और गांव-गांव जाकर मंजन बेचने लगे।
25 लाख का लोन लेकर हिस्सेदारी खरीदी पर कारोबार में मिला धोखा
2006 में अशोक जिस कंपनी में काम कर रहे थे, उसमें बंटवारा हो गया। उस समय तक उन्हें मार्केटिंग से लेकर प्रोडक्ट बनाने की अच्छी जानकारी हो गई थी, तो उन्होंने कंपनी के एक हिस्से के साथ बतौर स्टेकहोल्डर काम करना शुरु कर दिया। उन्होंने कंपनी में 25 लाख का लोन लेकर इन्वेस्ट किया, पर कंपनी की तरफ से उन्हें धोखा मिला।
उनकी टीम के अधिकतर लोग दूसरी कंपनी से जुड़ गए। मार्केट में प्रोडक्ट की डिमांड क्रिएट नहीं हो पाई,तो उस समय करीब दो-ढाई करोड़ का माल डूब गया। 2013 तक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उनका कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया और वे डिप्रेशन में चले गए। उन पर 25 लाख रुपये का लोन था और उन्हें समझ नहीं आर रहा था कि वो क्या करें और कैसे करें?
2018 में पत्नी ने संभाला बिजनेस
अशोक की हालत देखकर उनकी पत्नी ने बिजनेस को संभालने का निर्णय लिया। उनकी पत्नी ने बिजनेस को संभालते ही उसकी पैकेजिंग से लेकर प्रोडक्शन तक के मॉडल को चेंज कर दिया। अपने पति के बिजनेस को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने के लिए उन्होंने अपने बेटे अग्रिम और बेटी स्मृति की मदद ली।
फिर खड़ा हुआ ‘अमृतम’
अशोक के परिवार ने मिलकर 2018 में ‘अमृतम’ (Amrutam) को फिर से खड़ा किया। इस बार उन्होंने ऑफलाइन की तुलना में ऑनलाइन अपने प्रोडक्ट बेचने का निर्णय लिया। पहला ऑर्डर उन्हें बनारस से मिला । यह परिवार के लिए भावुक पल था। धीरे-धीरे ऑनलाइन बिक्री बढ़ने लगी शुरु में उन्हें दिन के 2-3 ऑर्डर ही मिलते थे, लेकिन आज ‘अमृतम’ हर दिन 300-400 ऑर्डर डिलीवर करता है और हर महीने वो 10 हजार से ज्यादा यूनिट्स बेचता है।
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यूनिक प्रोडक्ट से बनाई मार्केट में पहचान
अपने आयुर्वेदिक ज्ञान का इस्तेमाल करके अशोक गुप्ता ने अपने बिजनेस के लिए कुछ यूनिक प्रोडक्ट्स भी बनाएं। इन्हीं में से एक प्रोडक्ट है माल्ट (MALT) । यह एक इम्यूनिटी बूस्टर है, जो Amrutam का हीरो प्रोडक्ट है। इस प्रोडक्ट को बनाने की प्रेरणा उन्हें अपनी पत्नी से मिली, जिन्हें PCOD की प्रॉब्लम थी। अशोक का दावा है कि यह प्रोडक्ट महिलाओं में मेंस्ट्रुएशन के समय होने वाली परेशानियों को दूर करता है।
करोड़ों में हो रही
अशोक गुप्ता की सफलता की कहानी हमें दिखाती है, कि अगर आप परेशानियों का डटकर सामना करते हैं, तो सफलता आपको मिल ही जाती हैं। अशोक की जिंदगी में एक समय ऐसा आया था जब उन पर 25 लाख रुपये का कर्जा था, वो पूरी तरह से टूट गए थे, लेकिन उनकी पत्नी और उनके परिवार ने उस समय उनकी मदद की और कारोबार को अपने हाथों में लिया।
आज ‘अमृतम’ ना केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। अशोक गुप्ता अपने प्रोडक्ट को लेकर शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 (रियलिटी शो) में भी गए थे। अशोक गुप्ता की यह हमें सिखाती है कि अगर आपको अपने सपनों को पूरे करने है, तो कभी हार न मानें और अपने लक्ष्य की ओर डटे रहें।
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