रिटायरमेंट के बाद जहां अक्सर लोग आराम करने का सोचते हैं, उम्र के उस पड़ाव पर एक महिला टीचर ने ना सिर्फ एक नया सपना देखा बल्कि उसे सच भी कर दिखाया। केरल की रिटायर्ड टीचर रेमाभाई एस ने अपने रिटायरमेंट के बाद जैवविज्ञान की किताबों से निकलकर ड्रैगन फ्रूट की खेती का अनजाना रास्ता चुना।
आज अपने इस आइडिया से वो हर महीने एक लाख रुपये से ज़्यादा की कमाई कर रही हैं। अब टीचर से किसानी तक का उनका ये सफर कैसे शुरू हुआ? उसके सफर में मुख्य चुनौतियां क्या थी? और उनकी सफलता का राज क्या था? ये जानने के लिए आज की संघर्ष से सफलता की कहानी जरुर पढ़ें। ये कहानी ना सिर्फ आपकी सोच को बदलेगी, बल्कि आपमें कुछ बड़ा कर दिखाने की एक उम्मीद भी जगाएगी, तो चलिए शुरु करते हैं।
जूलॉजी टीचर से किसानी तक का सफर

केरल के कोल्लम की रहने वाली रेमाबाई एस (Remabai S) ने 36 साल तक जूलॉजी टीचर और बाद में एक सरकारी स्कूल में हेडमिस्ट्रेस के तौर पर काम किया। 2022 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने नया सफर शुरु किया।
रेमाबाई 15 साल की थीं तब पिता का साया सिर से उठ गया था। उनकी मां ने अकेले ही अपने 13 बच्चों की देखभाल की, और उन्हें टीचर बनाया। कोल्लम में रेमाबाई अपनी मां और बहन के साथ रहती थी, लेकिन मां के निधन के बाद रेमाबाई काफी अकेलापन महसूस करने लगीं।
रेमाबाई के पति भी काम में व्यस्त रहते थे और उनका बेटा भी दिल्ली में रहता था। इस बीच उनके बेटे ने उन्हें ड्रैगन फ्रूट के फायदों के बारे में बताया, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने अपने आपको व्यस्त रखने के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती का अनोखा रास्ता चुना।
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खेती के लिए जमीन नहीं थी, तो छत पर ही उगा दिए ड्रैगन फ्रूट
रेमाबाई ने खेती करने का निश्चय तो कर लिया, लेकिन उनके पास जमीन नहीं थी। ऐसे में उन्होंने अपने घर की छत पर ही ड्रैगन फ्रूट उगाने का निश्चय किया। रेमाबाई को पता था कि ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए उन्हें बहुत सारी मिट्टी की जरुरत होगी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी अपनी समझदारी से मात दी।
वह खुद छत पर मिट्टी नहीं ले जा सकती थी। इसलिए उन्होंने बिना मिट्टी के पौधे लगाने के तरीके को अपनाने का फैसला किया। उन्होंने 50 प्लास्टिक के बैरल ( ड्रम ) खरीदें और उनमें छेद करके मिट्टी की जगह हरी पत्तियों, चूरा, चावल के छिलके का इस्तेमाल करके ड्रैगन फ्रूट के पेड़ लगाए।
घर के वेस्ट (कचरे) से बनाई ऑर्गेनिक खाद
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए रेमाबाई ने ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल किया, जो उन्होंने अपने घर के किचन से प्राप्त होने वाले कचरे से बनाई। उन्होंने हरी पत्तियां, चावल के छिलके, मछली, झींगा की खाल, केकड़े के छिलके, गुड़ और सब्जियों के कचरे को मिलाकर जैविक खाद बनाई।
पौधों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर मिश्रण बनाने के लिए तीन महीने तक इन सबको सड़ा दिया। फिर इसी मिश्रण को खेती में इस्तेमाल किया।
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ड्रैगन फ्रूट की खेती से कमा रही हैं महीने के 1 लाख रुपये
रेमाबाई आज अपनी छत पर 50 बड़े प्लास्टिक के बैरल में 100 पौधों में ड्रैगन फ्रूट की लाल और पीली किस्मों के ड्रैगन फ्रूट उगाती हैं। इस खेती से वो हर महीने 500 किलो ड्रैगन फ्रूट की फसल कर लेती हैं, जिसे बेचकर वो महीने के लगभग 1 लाख से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं।
यूट्यूब पर सिखाती हैं, खेती के गुर
वर्तमान समय में रेमाबाई अपनी खेती का विस्तार करने के लिए दूसरे विदेशी फलों को उगाने की योजना बना रही हैं। खेती के साथ-साथ वो यूट्यूब पर ‘JC’s World‘ के नाम से एक यूट्यूब चैनल भी चला रही हैं, जहां वो मिट्टी के बिना खेती करने और जैविक खाद बनाने की ट्रिक और टिप्स के बारे में बताती हैं।
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प्रेरणा
रेमाबाई आज के लाखों युवाओं और रिटायर्ड लोगों के लिए सफलता की एक ऐसी मिशाल बन गई हैं, जिन्होंने साबित कर दिखाया है कि नया सपना देखने की कोई तय उम्र नहीं होती है। अगर आपमें जुनुन और मेहनत करने का जज़्बा है, तो आप 58-60 साल की उम्र में भी खुद को सफल बना सकते हैं। आज उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और जुनून ने ही उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती में अपार सफलता दिलाई।
आज रेमाबाई जैसे लोगों से प्रेरणा लेकर आप भी अपनी Success Story क्रिएट कर सकते हैं। अगर आपके पास भी कोई खास हुनर है या आपने कोई इंस्पायरिंक काम या सफर तय किया है, तो आप हमें अपनी कहानी बता सकते हैं।