जिन फटे-पुराने कपड़ों को आप कचरा समझ कर फेंक देते हैं, क्या आपको पता है उनसे आप लाखों रुपये कमा सकते हैं। जी हां, बैंगलुरु के एक कपल ने इन्हीं वेस्ट कपडों से एक स्टार्टअप शुरु किया है, जिससे वो महीने के लाखों रुपये कमा रहे हैं।
इस कपल का नाम सुनीता रामेगौड़ा और सुहास रामेगौड़ा है। 2023 में इन्होंने ‘The Good Gift (The Good Doll)’ नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसमें ये फटे-पुरानें कपड़ों का इस्तेमाल करके अतरंगी प्रोडक्ट बना रहे हैं। अब सुनीता और सुहास का ये प्रोडक्ट क्या है, और पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करके वो लाखों रुपये कैसे कमा रहे हैं? चलिए जानते हैं।
15 साल नौकरी की पर नहीं मिली कोई भी खुशी
सुनीता और सुहास शादी के बाद बैंगलुरु में रहने लगे। यहां कॉर्पोरेट सेक्टर में दोनों ने 15 साल काम किया, लेकिन इतने समय तक जॉब करने के बाद भी उन्हें संतुष्टी नहीं मिली। शहर की भागदौड़ वाली जिंदगी से वो थक गए थे, तो उन्होंने एक ऐसा काम करने का सोचा जिसमें उन्हें खुशी मिले।
नौकरी छोड़कर किया पहाड़ों में रहने का फैसला
2017 में आखिरकार उन्होंने वो काम करने का फैसला लिया जिसमें वो खुश रहते हों। सुनीता और सुहास दोनों ने अपनी कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ दी और गांव जाने का फैसला किया। वो निलगिरी की पहाड़ियों में रहने लगे। वहां उन्होंने मिट्टी का घर बनाया, और सब्जियां उगाना शुरु कर दिया। उन्होंने पहाड़ों की नदियों से पानी इकट्ठा किया और घर में बिजली के लिए सौर उर्जा का इस्तेमाल किया।
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2019 में की इंडियन यार्ड्स फाउंडेशन की शुरुआत
पहाड़ों में रहते हुए सुनीता और सुहास ने आदिवासी लोगों की परेशानियों को पहचाना। उन्होंने नोटिस किया यहां की ग्रामीण महिलाओं के पास चाय की कटाई के अलावा कोई भी काम नहीं है, जिसे वो नियमित रुप से कर सके। वो हर सुबह अपने बच्चों को छोड़कर दूसरे गांवों में काम करने के लिए जाया करती थी।
इसी समस्या को सुलझाने के लिए इस कपल ने 2019 में इंडियन यार्ड्स फाउंडेशन की शुरुआत की। यह एक शिल्प निर्माण से जुड़ा सामाजिक उद्योग था, जिसका उद्देश्य निलगिरी में आदिवासी समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना था। इस संस्था में गांव की महिलाओं को कढ़ाई-बुनाई जैसी बहुत सी चीजें सिखाई गईं।
दादी को देखकर आया कपड़ों से गुड़िया बनाने का आइडिया
फाउंडेशन के काम को आगे बढ़ाने के लिए 2023 में इस कपल ने The Good Doll स्टार्टअप की शुरुआत की। इस बिजनेस का आइडिया उन्हें अपनी दादी को देखकर आया। उनकी दादी बचपन में कपड़े से गुड़िया बनाया करती थीं, और इसी आइडिया से उन्होंने बिजनेस शुरु कर दिया। इन गुड़ियाओं के चेहरे के भाव इस तरह बनाए जाते हैं कि ये बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी अच्छे लगें। साथ ही साथ इन गुड़ियाओं के कपड़े भी बदले जा सकते हैं।
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आदिवासी महिलाओं को दिया रोजगार
यह बिजनेस स्टार्ट करके सुनीता और सुहास ने ना सिर्फ खुद के बिजनेस को आगे बढ़ाया, बल्कि उन्होंने काफी आदिवासी महिलाओं को भी रोजगार दिया। आज उनके स्टार्टअप से तमिलनाडु के नीलगिरी की आदिवासी समुदायों की 200 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
सुनीता और सुहास का कहना है कि उन्होंने पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाने के कारण काफी कपड़े को लैंडफिल में जाने से रोका है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 8000 किलोग्राम कपड़ा लैंडफिल साइट में जाने से बचा है। क्योंकि इस कपड़े का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्टार्टअप में किया है।
लाखों में है बिजनेस का टर्नओवर
अपने Unique Business Ideas से सुनीता और सुहास ने फटे पुराने कपड़ों को प्रॉफिट देने वाले बिजनेस में बदल दिया है। स्टार्टअप की शुरुआत के 1 साल में ही इस कपल ने B2B में अपने बिजनेस का विस्तार किया। उन्होंने चेन्नई, ऊटी, बेंगलुरु, गोवा, आदि में 60 ऑफलाइन स्टोर्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
फिलहाल वो हर महीने 3000 से ज्यादा कपड़े की गुड़िया बनाकर बेचते हैं। उनके स्टार्टअप से जुड़कर आदिवासी महिलाएं कम से कम महीने के 8-10 हजार रुपये महिना कमा लेती हैं। बिजनेस के टर्नओवर की बात करें तो साल 2023 में इस कंपनी ने 75 लाख रुपये का रेवेन्यू अर्जित किया है। आने वाले सालों में इसका रेवेन्यू बढ़ने का अनुमान है।
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