कुछ बड़ा करने के लिए आपको बड़ा सोचना भी पड़ता है। विपरीत परिस्थितों में भी जो लोग मेहनत और लगन का हाथ नहीं छोड़ते हैं। सफलता एक ना एक दिन उन्हें मिल ही जाती है। सफलता की एक ऐसी ही कहानी आज हम आपके सामने लाए हैं।
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिन्हें कभी पैसों की कमी के चलते स्कूल से निकाल दिया गया था, काम के लिए उन्होंने भीख भी मांगी। एक समय तो ऐसा भी था, जब वो ड्रिप्रेशन में चले गए और उन्हें सुसाइड करने के विचार आने लगे। लेकिन हर परिस्थिति में उन्होंने खुद को संभाला और Ohoo Jaipur ब्रांड की शुरुआत की।
आज के आर्टिकल में चलिए जानते हैं, Ohoo Jaipur के फाउंडर राधा गोविंद के सफलता की प्रेरक कहानी। आखिर कैसे उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष को सफलता में बदला –
सफलता की प्रेरक कहानी: Ohoo Jaipur का सफर
फीस ना भरने की वजह से स्कूल से निकाला गया
जयपुर से 30 किलोमीटर दूर बगरु गांव में रहने वाले राधा गोविंद का जीवन बेहद ही गरीबी में बीता। जब वो 10-12 साल के थे, तो उन्होंने स्कूल की फीस ना भरने की वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था। इस बात से परेशान होकर नादानी में वो घर छोड़कर चले गए थे। लेकिन शाम को जब वो वापस आए, तो अपनी मां और परिवार वालों को परेशान देखकर उन्होंने दुबारा कभी भी ऐसा ना करने का निर्णय लिया।
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17 रुपये से शुरु की छोटी सी दुकान
6 भाई-बहनों में राधा गोविंद अकेले थे जो पढ़ रहे थे। ऐसे में उन्होंने खुद अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के बारे में सोचा। उन्होंने अपनी गुल्लक तोड़ी और 17 रुपये से अपने घर के चबूतरे पर ही टॉफी-बिस्कुट बेचने की दुकान खोली। लेकिन इस छोटी सी कमाई से उनकी पढ़ाई का खर्चा नहीं निकल सका।
10 वीं के बाद उन्होंने बच्चों को कोचिंग पढ़ाना शुरु किया। 12 पास करने के बाद उन्होंने CA बनने का सपना देखा, किसी वजह से वो सपना पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंनेे LLB करने का निर्णय लिया। LLB पूरी होने के बाद उन्होंने राजस्थान ज्यूडिशियरी सर्विस (RJS) का प्रिलिम्स भी क्लियर कर लिया, लेकिन उस वक्त तत्कालीन सरकार ने पेपर लीक होने की वजह से एग्जाम कैंसिल कर दिया। इसके बाद 3 सालों तक कोई भी वैकेंसी ना आने की वजह से वो परेशान हो गए थे। घरवाले भी उन्हें ताने देने लगे थे।
मुंबई में काम के लिए मांगी भीख
घरवालों के तानों से परेशान होकर एक दिन राधा गोविंद ने दो जोड़ी कपडे लेकर मुंबई आ गए। इससे एक बार वो अपने परिवारवालों के साथ कपड़ो की एक एग्जिबिशन में मुंबई गए थे। उन्हें लगा कि अब मुंबई जाकर ही उन्हें कुछ काम मिल सकता है। लेकिन मुंबई का सफर आसान नहीं था।
मुंबई में जानकारी ना होने की वजह से उन्हें रेलवे स्टेशन पर सोना पड़ा। राधा गोविंद जब भी किसी सूट-बूट पहनने वाले व्यक्ति को देखते, तो वो उससे काम मांगते। लेकिन उन्हें काम नहीं मिला। फिर उन्होंने अपने फेसबुक दोस्त नितिन को फोन किया, उनकी मदद से उन्हें जैसे-तैसे मुंबई में काम मिला। जहां वो सिर्फ 2 वक्त का गुजारा कर पाते थे।
संघर्ष के दिनों में पत्नी ने दिया पूरा सहयोग
मुंबई में काम करने के कुछ समय बाद राधा गोविंद वापस अपने गांव गए, जहां उनके परिवार वालो ने अनुपमा के साथ उनकी शादी करवा दी। शुरुआत में राधा गोविंद शादी के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उनकी पत्नी ने उनकी सफलता में बहुत बड़ा योगदान दिया।
शादी के बाद अपनी पत्नी को लेकर राधा गोविंद मुंबई में आ गए। जहां उनकी पत्नी ने मुंबई में कैंसर डोनेशन वाली संस्था में 5,000 रुपये महीने की नौकरी की। इसी दौरान राधा गोविंद ने मुंबई की फैशन इंडस्ट्री को समझा, तो लगा कि यदि गारमेंट्स रिलेटेड धंधा शुरू करूं, तो शायद दिन बदल सकते हैं।
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पुश्तैनी काम से खड़ा किया खुद का बिजनेस
राधा गोविंद के दादा परदादा बसरों से कपड़ों का बिजनेस कर रहे थे, उनके पिताजी भी ब्लॉक प्रिटिंग का काम करते थे। ऐसे में उन्होंने इसी बिजनेस को आगे बढ़ाने का सोचा। 2014-15 में वो वापस अपने गांव बगरु आ गए।
यहां उन्होंने तकरीबन 45 हजार रुपये उधार लेकर आस-पास के लोगों से कपड़ा बनवाया। मुंबई की एक चॉल में उन्होंने 2 मशीनों के साथ अपने कारोबार की शुरुआत की। उन्होंने बगरु में नेचुरल तरीके से होने वाली छपाई के कपड़ों को मुंबई में बेचना शुरु किया। शुरु में उन्होंने एग्जिबिशन लगाई, इसके बाद उन्होंने Ohoo Jaipur के नाम से खुद का स्टोर खोला। लोगों को उनके कपड़े पसंद आने लगे, और देखते ही देखते उनका काम बढ़ने लगा।
Ohoo Jaipur को मिली बड़ी सफलता
Ohoo Jaipur को मिली सफलता को देखकर राधा गोविंद ने मुंबई में अपने आउटलेट्स बढ़ाने शुरु कर दिए। लेकिन 2020 में कोविड़ की वजह से उनका काम ठप्प सा हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, और अपना सामान ऑनलाइन बेचना शुरु कर दिया।
आज मुंबई के पॉश एरिया में Ohoo Jaipur के चार आउटलेट्स हैं। इसी के साथ मुंबई और बगरु में उनकी कपड़ा फैक्ट्री भी है, जहां वो अपनी दुकानों के लिए माल तैयार करते हैं।
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सालाना टर्नओवर 40-50 करोड़ रुपये
राधा गोविंद को Ohoo Jaipur से बड़ी सफलता हासिंल हुई। आज उनकी कंपनी में 100 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। Ohoo Jaipur से राधा गोविंद साल का 40-50 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिंल कर रहे हैं।
राधा गोविंद की संघर्ष से सफलता की कहानी उन सभी लोगों से लिए इंस्पिरेशन हैं, जो छोटी-छोटी परेशानियों से हार मानकर अपनी असफलता का सारा दोष किस्मत पर मढ़ देते हैं। अगर राहों में आने वाली मुश्किलों में आप अपने आप को स्थिर रख पाते हैं, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।