Success Story of Raj Yadav: मन में कुछ बड़ा कर दिखाने का ज़ज्बा है, तो मुश्किलें आपके हौंसलों के सामने ज्यादा देर नहीं टिकतीं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर चमरहा गांव में रहने वाले राज यादव ने भी ऐसा ही जज़्बा दिखाया है।
एक समय था, जब वो अपने पिताजी के साथ दुकान पर चाय बेचा करते थे। उनके जीवन में आर्थिक परेशानियां थी। लेकिन अपने मजबूत हौसले से वो ना सिर्फ अपने गांव के पहले इंजीनियर बनें, बल्कि उन्होंने 18 Pixel और किसानों की मदद के लिए Gramik नाम की कंपनी भी खोली। इन कंपनियों की मदद से आज राज यादव करोड़ो का मुनाफा कमा रहे हैं।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कैसे राज यादव ने अपने स्टार्टअप्स को सफल बनाया, तो ये कहानी पूरी जरुर पढ़े।
गांव में पिताजी के साथ बेचते थे चाय
साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले राज यादव बचपन से ही अपने पिताजी के साथ चाय की दुकान पर काम किया करते थे। उनके पिता दुकान के साथ-साथ दूसरों के खेतों में काम किया करते थे। ऐसे में सुबह स्कूल जाने से पहले और दोपहर को स्कूल से आने के बाद राज का पूरा समय दुकान पर ही बीतता था। इसी दौरान वो पढ़ाई भी किया करते थे।
पैसे नहीं थे तो समोसे की दुकान नहीं खोल पाए थे राज
चाय की दुकान का कम मुनाफा देखकर राज ने समोस की दुकान खोलने का सोचा। उन्होंने बजट भी बनाया जो 3000-3500 के बीच था, लेकिन उस समय उनके पास समोसे की दुकान खोलने के पैसे नहीं थे। राज ने अपने दोस्त से पैसे उधार भी मांगे लेकिन उन्हें पैसे नहीं मिल पाए, और उनका समोसे की दुकान खोलने का सपना पूरा नहीं हुआ।
इसके बाद उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान दिया और पिताजी के साथ दुकान पर काम करते रहे। 10 वीं में अच्छे नंबर से पास होने के बाद राज का हौसला बढ़ा और उसके बाद उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से कंम्यूटर साइंस में बी. टेक किया।
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नौकरी छोड़कर शुरु की खुद की कंपनी
पढ़ाई पूरी करने के बाद राज जॉब की तलाश में दिल्ली चले गए। वहां 3000 रुपये महीना से उन्होंने अपनी पहली नौकरी की शुरुआत की। अपनी मेहनत से राज ने अपने लिए नई राहें बनाई और कुछ सालों में वो 1 लाख रुपये महीना कमाने लगें। राज अपनी नौकरी में खुश थे, लेकिन खुद का काम करने की इच्छा अभी भी उनके मन में थी। अंत में राज ने अपने मन की बात सुनी और नौकरी से रिजाइन देकर खुद की आईटी सर्विस कंपनी 18 Pixels शुरु की ।
यह कंपनी स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित ऐप और वेबसाइट्स को डिजाइन करती है। कंपनी शुरु करने के पीछे मुख्य उद्देश्य उत्तरप्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना था, जो पूरा भी हो रहा है। 18 Pixels आज सालना का 7 करोड़ टर्नओवर हांसिल कर रही है।
पिता की कॉल से मिला नया बिजनेस आइडिया
लॉकडाउन में जब राज अपने घर थे, तो घर के पिछे उगी घास को काटने के लिए उन्हें मशीन और PGPR की जरुरत महसूस हुई, लेकिन गावों में वो चीजें उन्हें कहीं नहीं मिली। इसके बाद राज वापस लखनऊ चले गए।
एक दिन उन्हें उनके पिता का कॉल आया जिसने उनके नजरिए को नया आयाम दिया। उनके पिता ने उन्हें बताया कि उन्होंने फोन की मदद से घास काटने की मशीन और PGPR घर पर ही मंगा लिया है। इस घटना के बाद राज के मन में विचार आया कि जब उनके पिताजी फोन से ये चीजें मंगवा सकते हैं, तो अन्य किसान क्यों नहीं। इसके बाद उन्होंने 18 Pixels की जिम्मेदारी छोड़कर किसानों के हित में नए प्रोजक्ट पर काम करना शुरु कर दिया।
Gramik से शुरु की नई शुरुआत
2021 में राज यादव ने अपने दोस्त गौरव कुमार के साथ मिलकर Gramik से नई शुरुआत की। इस स्टार्टअप का उद्देश्य था किसानों की समस्या का हल करना, और उन्हें अच्छी किस्म के बीज, खाद, उपकरण उपलब्ध करवाना,और गांव मे पैसे कमाए जाने का अवसर पैदा करना। यह कंपनी अब तक 3 लाख से ज्यादा किसानों की मदद कर चुकी है।
100 करोड़ से ज्यादा है सालाना कमाई
ग्रामिक का ऑफिस पुणे में हैं, जहां 200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों में 45 प्रतिशत महिलाएं है, जिनमें किसान परिवार से जुड़ी महिलाएं ज्यादा है। ग्रामिक की बात करें तो फिलहाल कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
राज यादव की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, जो अपनों के साथ-साथ दूसरों का भी भला करना चाहते हैं। राज के जीवन में मुश्किलें कम नहीं थी, आर्थिक परेशानी उनके सामने थी। पर हर परेशानी को पीछे छोड़कर उन्होंने सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस किया। और आज देखों, राज की सफलता उनकी मेहनत को सलाम कर रही है।