कहते हैं कि हार से कभी नहीं डरना चाहिए, क्योंकि हर हार एक नई जीत की शुरुआत होती है। 2001 में सूर्या इलेक्ट्रॉनिक्स के मालिक रमेश चौधरी ने भी ऐसी ही एक जीत की शुरुआत की थी। एक समय गांव में गाय-भैस चराने वाले रमेश14 साल की उम्र में नशे की लत का शिकार हो गए। घरवालों को भी उनपर शर्म आने लगी थी, लेकिन अपनी मेहनत और कुछ कर दिखाने की लगन से उन्होंने आज 300 करोड़ का एम्पायर खड़ा कर दिया है।
तो चलिए अर्न मनी गुरु के आज के आर्टिकल में जानते हैं – “रमेश चौधरी की सफलता की कहानी” कि कैसे उन्होंने हर मुसीबत को पार करते हुए अपना नाम बनाया।
कच्ची उम्र में ही लग गई थी नशे की लत
महाराष्ट्र के एक गांव में रहने वाले रमेश चौधरी बेहद ही सामान्य परिवार से आते हैं। 10 साल की उम्र में ही उनका बाल-विवाह हो गया था। हालांकि कुछ सालों बाद उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। गांव के माहौल की वजह से कच्ची उम्र में ही रमेश नशे का लत का शिकार हो गए, जिससे परेशान होकर उनके घरवालों ने उन्हें पढ़ने के लिए खुद से दूर हॉस्टल में भेज दिया। रमेश शुरु से ही पढ़ने में फिसड्डी थे, तो हॉस्टल में उन्होंने जैसे-तैसे 10-12 वीं पास की।
तानों से परेशान होकर घर छोड़ा
12वीं पास करने के बाद रमेश वापस अपने घर आ गए, और गांव में ही रहने लगे। लेकिन कुछ काम नहीं करने की वजह से रमेश को अपने ही घरवालों से तानें सुनने मिलते, आस-पास के लोग भी उन्हें ताने मारने लगे।
एक दिन तानों से परेशान होकर रमेश अपना गांव छोड़कर पुणे आ गए, जहां 2 समय के खाने के लिए उन्होंने 1 दुकान पर काम करना शुरु कर दिया। 1 साल बाद मालिक के तानों से परेशान होकर रमेश ने ये दुकान छोड़ दी।
1500 रुपये की नौकरी से शुरु की अपनी कहानी
रमेश ने काम तो छोड़ दिया था, लेकिन घर जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैसों के जुगाड़ में वो पुणे में ही अपने रिश्तेदार के यहां गए, जहां उन्हें कुछ नया करने का प्रोत्साहन मिला। उनके रिश्तेदार ने उन्हें पवन इलेक्ट्रॉनिक्स में 1500 रुपये महीना पगार में नौकरी दिलवाई। रमेश ने इस दुकान में काम करना शुरु किया और बिजनेस की बारीकियों को समझा।
ससुर से लोन लेकर शुरु की खुद की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान
2001 में रमेश ने अपने होने वाले ससुर से 2-4 लाख रुपये का लोन लेकर पुणे में ही 200 वर्ग फीट की जगह में सूर्या इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत की। जगह भले ही छोटी थी, लेकिन रमेश के हौंसले बहुत बड़े थे।
रमेश ने पहले ही साल में सूर्या इलेक्ट्रॉनिक्स से 1 करोड़ रुपये की कमाई की। उन्होंने ग्राहक संतुष्टि, ग्राहक की प्राथमिकताओं और माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी का इस्तेमाल करके अपनी दुकान को आगे बढ़ाया।
आज 300 करोड़ रुपये है कंपनी की वैल्यू
इलेक्ट्रॉनिक्स के बिजनेस में रमेश चौधरी के सामने बहुत सी परेशानियां आई। 2012 में उन्हें 50 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन रमेश ने हर नुकसान को अवसर के रुप में देखा, और पहले से ज्यादा मेहनत से काम करना शुरु किया। 2017 में अपनी दुकान को उन्होंने निजी लिमिटेड कंपनी में बदला, और अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए 28 दिसंबर 2017 को उन्होंने एमआर सूर्या इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की।
2024 में कई शहरों में उनकी इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान की 13 ब्रांच हैं, जिनसे वो 300 करोड़ रुपये का टर्न ओवर हासिल कर रहे हैं। रमेश भले ही पढ़ाई में कुछ बड़ा नहीं कर पाएं, लेकिन बिजनेस जगत में उन्होंने अपनी मेहनत से अलग पहचान जरुर बना ली है।
अगर आप अपने जीवन में आने वाली परेशानियों से हार मान चुकें हैं, तो रमेश चौधरी की कहानी आपको जरुर मोटिवेट करेगी। यह कहानी हमें सिखाती है अगर आपके पास किसी भी काम को करने का जुनुन है, तो आप छोटी सी दुकान को भी बड़े सम्राज्य में बदल सकते हैं।
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